5 सुंदर और अद्भुत चर्च जिनमें दिखता है देश का इतिहास , रोमांच और स्थापत्य
चर्च धर्म के लोग ईसा मसीह का पूजा करते हैं बोला जाता है कि ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत में आते ही उन्होंने उपासना के लिए भारत में चर्च बनवाया शुरू कर दिया था धीरे-धीरे लोग भी ईसाई धर्म से प्रभावित होकर चर्च की उपासना करने लगे और फिर देश भर में गिरजा घरों का निर्माण होना शुरू हो गया दक्षिण भारत में सर्वाधिक मात्रा में ईसाई धर्म निवास करते हैं और सबसे भाव गिरजाघर भी उन्हीं क्षेत्र में स्थित हो गया तो आइए जानते हैं कि भारत देश में सबसे प्रसिद्ध चर्च कौन-कौन से हैं
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से कैथेड्रल चर्च , गोवा :-
से कैथ्रेडल चर्च गोवा के खूबसूरत चर्चाओं में से एक चर्च हैं जो कि राजश्री सफेद सुंदरता का उदाहरण है और यह सेट कैटरीन को समर्पित किया गया है कैथेड्रल के नाम से भी प्रसिद्ध है कैथेड्रल चर्च गोवा और दमन के लेटेस्ट रेट रोमन कैथोलिक आर डी ओ सी का एक महत्वपूर्ण केंद्र है या कैथ्रेडल चर्च के निर्माण में लगभग 80 साल समय लगा था इस शहर की स्थापना मुस्लिम शासकों पर गायों की जीत के रूप में की गई थी या कैथ्रेडल को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में भी शामिल किया गया है यह गिरजाघर में पांच घाटियों हैं जिनमें से सबसे प्रसिद्ध और सबसे बड़ी गोल्डन घंटी है ऐसा कहते हैं कि इस घंटे का आवाज पूरे राज्य में सुनाई देती है इसमें 14 कैदियों है जिनमें से प्रत्येक को खूबसूरती के साथ उकेरा गया है से कैथ्रेडल चर्च भारत के खूबसूरत शहर गोवा में स्थित है इस चर्च को मुस्लिम सेना पर गाली फतेह की रूप में बनवाया गया था पुर्तगालियों की सेना का नेतृत्व किसने किया था और गोवा पर अपना अध्यापक जमा लिया था गोवा में से कैथ्रेडल का निर्माण सन 1562 में हुआ था से कैथ्रेडल चर्च में पुर्तगालियों की वस्तु कला और शैली का एक अद्भुत उदाहरण देखा जाता है इसकी लंबाई 250 फीट चौड़ाई 181 फीट है चर्च को बनाया गया है शुक्ला शामिल किया गया है जो कि देखने में बहुत ही ज्यादा आती है और अपने पर्यटकों को अपनी तरफ लुभाती है इसकी संरचना में सबसे दिलचस्प तो यह है कि गिरजाघर के अंदरूनी भाग को एक क्रूस के रूप में बनाया गया है जबकि इसके बाहरी भाग को आयताकार आकर में बनाया गया हैं
परुमाला चर्च ,केरल :-
पारुमला चर्च इन केरल में स्थित है यह महान संत ग्रिगोरिएस जीर्वाघीस की स्मृति में बनाया गया था इससे पारुमला चर्च के नाम से भी जाना जाता है यह चर्च केरल के मनार में स्थित है या मलकारा रूढ़िवादी सीरियन चर्च का एक बार इस चर्चा जो कि 1947 में ग्रिगोरियस को कैथोलिकोस आफ द चर्च ने संत की उपाधि दी थी यह चर्च देखने में बहुत ही आकर्षित लगता है यहां पर लोग देश विदेश से घूमने के लिए आते हैं ज्यादातर लोग बौद्ध धर्म के लोग घूमने के लिए आते हैं छुट्टियां बिताने के लिहाज़ से पारुमाला काफी दिलचस्प जगह है। प्रत्येक आध्यात्मिक रूप से इच्छुक व्यक्ति को इस स्थान को एक बार जरुर ही जाना चाहिए।
क्राइस्ट चर्च, शिमला :-
क्राइस्टचर्च उत्तर भारत में मेरठ की सेंट जॉन्स चर्च के बाद दूसरा सबसे पुराना चर्च है यह चर्च हिल स्टेशन शिमला में स्थित राजधानी का ताज कहे जाना वाला क्राइस्टचर्च है इसकी खूबसूरती आज भी लोगों को लुभाती है इसका निर्माण 1846 से अट्ठारह सौ सत्तावन के बीच अंग्रेजी शासन काल की अवधि के दौरान किया गया था बीज से देखने पर चर्च की खिड़की रंगीन गिलासों और ब्रास के सुंदर टुकड़ों से सजी हुई दिखाई पड़ती है जो कि बहुत ही ज्यादा आकर्षित लगती है और अपने पर्यटक को अपनी तरफ लुभाती है इस चर्च के स्थान पर जो घड़ी है वह 1807 में स्थापित किया गया था इसके बाद भले ही इसकी घड़ी नहीं चल पाई लेकिन यह चर्च दशकों से अपनी पहचान ही बरकरार रखने में कामयाब हुआ है यह चर्च पत्थरों पर उत्कृष्ट नक्काशी और रंगीन गिलासों से सजी सुंदर फिर क्यों इस इमारत को शानदार रूप रंग प्रदान करती है इसकी सुंदरता बढ़ाती है यह देखने में बहुत ही आकर्षित लगता है
सेंट फिलोमेना चर्च, मैसूर :-
सैंट फिलोमिना चर्च को सेंट जोसेफ चर्च के नाम से भी जाना जाता है इस चर्च का निर्माण कार्य 1933 में महाराजा कृष्ण राज बूढ़े यार ने शुरू किया था और यहां 1941 में बनकर तैयार हुआ था इसे भौतिक वस्तु शिल्पी शैली में बनाया गया है और चर्च के वेदी के नीचे तीसरी शताब्दी के अवशेषों को भी सुरक्षित किया गया है चर्च की व्यवस्था होली रा से प्रभावित है और एक सभा ग्रह होने के साथ-साथ एक बेटी भी है चर्चा के गर्भ गृह में आप संगमरमर की विधि और सेंट फूलों में ना और जीसस क्राइस्ट की प्रतिमा को देख सकते हैं जो कि देखने में बहुत ही आकर्षक लगता है चर्च में लगे ग्लास पेंटिंग में ईसा मसीह के जन्म से ही लेकर पुन जन्म तक की घटनाओं को देख सकते हैं चर्च की एक और खासियत यह है कि यहां दो 54 मीटर ऊंचे टावर बने हुए हैं यह देखने में बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता है यह एकदम न्यू आरके सेंट पैट्रिक चर्च जैसा दिखता है वर्तमान में इस चर्च को सेंट जोसेफ चर्च के नाम से भी जाना जाता है यह चर्च 1933 में बना यह चर्च भारत के सबसे बड़े चर्चा में से एक चर्च माना जाता है न्यू गोथिक शैली में निर्मित है इस चर्च की 175 फीट ऊंची जुड़वा मीनारें मिलो दूर से दिखाई देती है जो कि बहुत ही ज्यादा आकर्षित देखने में लगती है सेंट पॉल चर्च के भूमिगत कमरे में तीसरी शताब्दी के संत संत की प्रतिमा स्थापित की गई है इसकी दीवारों पर ईसा मसीह के जन्म से लेकर पूर्ण जन्म तक उनके जीवन की विभिन्न घटनाओं को दर्शाई हुई है जो कि ग्लास पेंटिंग लगी हुई है यहां पर लोग देश-विदेश से घूमने के लिए आते हैं
वेलंकन्नी चर्च, तमिलनाडु :-
वेलंकन्नी चर्च बासिलिका ऑफ़ आवर लेडी ऑफ़ गुड हेल्थ’ के नाम से जाना जाता है, यह चर्चा तमिलनाडु राज्य में स्थित है यह बहुत ही प्रसिद्ध चर्चाओं में से एक चर्च है पवित्र शहर बेल्कनें का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है सोनी शताब्दी के मध्य में इस चर्च का निर्माण एक्जुपरी की तरह किया गया था पर बाद में वर्ष 1771 में यह एक के परिश चर्च बन गया वर्ष 1962 में पोप जॉन द्वारा माइनर बेसिलिका का विशेष दर्जा दिया गया सुबह 5:00 बजे से लेकर शाम 9:00 बजे तक खुला रहता है इस दौरान दिन के विभिन्न समय पर तमिल मलयालम और अंग्रेजी में समूह प्रार्थनाएं की जाती है इसके अतिरिक्त नोवेना प्रार्थना रोजड़ी और शाम की प्रार्थनाएं शाम को 6:00 बजे की जाती है वर्ष उन्नीस सौ 74 से 1975 में लो लौर्देस की भाषा की तर्ज पर इस बांसी लिखा का विस्तार किया गया था जो कि बहुत ही आकर्षित है आजकल वेलकम चर्च को पूर्व का आदेश भी कहा जाता है इस चर्च में सितंबर में होने वाली फेस्टिवल बहुत ही महत्वपूर्ण तहवार होता है यहां पर स्थानीय लोग के लिए यह त्यौहार बहुत महत्वपूर्ण रखता है और वे लोग इसे बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं यदि आप सितंबर के महीने में यहां वार्षिक उत्सव का मजा लेना चाहते हैं तो आप सितंबर के अंत में आए और यहां के तहवार का मजा ले इस चर्च में प्रतिदिन कई पर्यटक चर्च की प्रीतम सुंदरता को देखने के लिए आते हैं जो कि बहुत ही रमणीय है