भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल

भारत देश में धर्म कर्म और क्षमा को धार्मिकता दी जाती है भारत एक ऐसा देश है जहां कई जाति धर्म के लोग माने जाते हैं और रहते हैं सभी लोग प्रेम से रहते हैं और भाईचारे का परिचय भी रहते हैं भारत को विश्वास की भूमि भी कहा जाता है भारत के धार्मिक स्थलों में कई मंदिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारा ऐसे बहुत से तीर्थ स्थल हैं भारत के निवासी अपने-अपने धर्म के अनुसार इन पवित्र स्थानों पर जाते हैं और अपने देवता की पूजा करते हैं भारत भौगोलिक सामाजिक सांस्कृतिक धार्मिक यादी की विभिन्न गांवों का देश है यहां के लोग की धर्म में गहरी आस्था होती है धार्मिक स्थल सदियों से मौजूद है भारत के धार्मिक स्थान लोगों और धर्मों की विविधता को प्रतिबिंबित करते हैं भारत विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों का घर है दुनिया में सबसे अधिक धर्म हमारे ही राष्ट्र मे माने जाते हैं भारत के प्रसिद्ध धार्मिक पूजा स्थलों में से कुछ हरिद्वार कुंभ का मेला 12 ज्योतिर्लिंग मीनाक्षी मंदिर चार धाम ऐसे बहुत से स्थान हैं जो कि हमें घूमने जाना चाहिए भारत भौगोलिक सामाजिक सांस्कृतिक धार्मिक यादी कई विभिन्न गांवों का देश कहा जाता है यहां के लोगों की धर्म में बहुत ज्यादा गहरी आस्था होती है और यहां के सभी धर्म के लोगों को देखा भी जाता है सभी अपने अपने धर्म के देवी-देवताओं को मानते हैं सभी लोग जैसे कि छोटे बड़े गांव के हो या शहरों के हो सभी लोग सभी लोग अपने धार्मिक स्थल सदियों से मौजूद हैं जैसे कि गंगा नदी के किनारे चला जाए तो हमें हरिद्वार काशी प्रयाग से लेकर गंगासागर तक एक से बढ़कर एक धार्मिक एवं दर्शनीय स्थल दिखाई देंगे और दिखाई देंगे इन तीर्थों की यात्रा करते अपने तन मन को पवित्र कर मुक्ति की कामना करते श्रद्धालु तो ऐसे में भारत के निवासी अपने अपने धर्म के अनुसार इन पवित्र स्थानों पर जाते हैं और अपने इष्ट देव अल्लाह गॉड से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं आज हम आपको अपने लेख में बताऊंगी कहां पर कौन कौन सी मंदिर है मस्जिद है चर्च है तू चलिए अब हम लोग देखते हैं इंडिया में किस किस स्थान पर पवित्र स्थल हैं जो कि हमें घूमने जाना चाहिए

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भारत का धार्मिक स्थल वैष्णो देवी माता मंदिर :-

हिंदू धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक तीर्थ स्थल है यह भारत के धार्मिक स्थलों में शामिल माता वैष्णो देवी का मंदिर हिंदू धर्म का एक प्रमुख तीर्थस्थल है जम्मू कश्मीर की प्रसिद्ध त्रिकूट पहाड़ी पर स्थित है यह पवित्र स्थान नौ देवियों में से एक माता वैष्णो रानी का परमधाम है देवी के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की काफी भीड़ होती है नवरात्रि के टाइम तो और भी ज्यादा भीड़ होती हैं माता वैष्णो देवी के मंदिर में देश-विदेश से लोग आते हैं यहां श्रद्धालु गन चिड़िया पर चलते हुए लंबा सफर तय करते हैं और माता रानी का जय जयकार लगाते हैं वैष्णो देवी धाम में कई पावन स्थान हैं जहां से आप घूम सकते हैं वैष्णो देवी की गुफा और अंदर का मनोहर दृश्य बहुत ही संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है जम्मू से लगभग 42 किलोमीटर दूर कटरा नामक स्थान पर स्थित है वैष्णो देवी मंदिर हजारों लाखों की आस्थाओं की धरोहर जम्मू कश्मीर में है जहां साल भर भारी संख्या में श्रद्धालु माता वैष्णो देवी के दर्शन करने आते हैं इस मंदिर में की अनेकों कहानियां है कहा जाता है कि देवी वैष्णो इस गुफा में छिपी और एक राक्षस का वध कर दिया था इस मंदिर का मुख्य आकर्षण गुफा में रखे 3 प्रिंट है मंदिर के गुफा में स्थापित है बाकी लंबाई 30 मीटर और ऊंचाई 1.5 मीटर है कहा जाता है इस मंदिर में आने के बाद जो मनोकामना होती है वह पूर्ण हो जाती है इसलिए हमें चाहिए कि इस मंदिर में जरूर घूमें यहां पर देश-विदेश से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं माता वैष्णो देवी की माता वैष्णो देवी को लेकर बहुत ही प्रचलित कथाएं हैं जो कि अलग-अलग हैं कहा जाता है एक प्रसिद्ध प्राचीन मान्यता के अनुसार माता वैष्णो देवी ने अपने परम भक्त श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न होकर उसकी मदद करी थी ताकि वह भिक्षुक और भक्तों के लिए भंडारे का आयोजन कर सकें तो माता वैष्णो देवी उसके भंडारे में बालिका के रूप में पहुंची और वहां भक्तों में शामिल हुए एक रक्षक भैरव नाथ का वध करने के लिए उसे त्रिकुटा पहाड़ पर ले गई जब भैरवनाथ का वध हुआ तो उसका सर वहां से 2.5 किलोमीटर दूर जाकर गिरा जिससे भैरव घाटी करते हैं भैरवनाथ ने मरने से पहले माता से माफी मांगी तो माता ने उससे कहा कि तुम्हें मोक्ष तभी मिलेगा जब मेरा दर्शन करने के लिए भक्त तुम्हारे मंदिर के दर्शन करने आएंगे बाद में श्रीधर को माता वैष्णो देवी ने अपने दर्शन त्रिकुटा पर्वत की गुफाओं में दिए तो ऐसे बहुत ही कहानियां हैं जैसे की दूसरी कथाएं हैं मान्यता के अनुसार माता वैष्णो देवी ने भारत के दक्षिण में रत्नाकर सागर के यहां जन्म लिया था उनका नाम त्रिकुटा रखा गया माता वैष्णो देवी ने अपने पिता से समुद्र के किनारे तपस्या करने की इच्छा जाहिर की और तपस्या में भगवान शिव की प्रार्थना की सीता की खोज कर रहे श्री राम को बालिका के रूप में माता वैष्णो माता ने श्रीराम को बताया कि उन्होंने राम को पति के रूप में स्वीकार किया है लेकिन राम ने कहा वे सीता को वचन दे चुके हैं इसलिए वे कलयुग में लिख के रूप में प्रकट होंगे और वैष्णो देवी से विवाह करेंगे श्रीराम नहीं माता वैष्णो देवी से उत्तर में जाकर ध्यान में लीन होने के लिए कहा और माता वैष्णो देवी ने रावण पर राम की विजय प्राप्त होने पर नवरात्र मनाने का निर्णय किया श्री राम ने वचन दिया कि सारे संसार में माता वैष्णो देवी की पूजा की जाएगी तो ऐसे बहुत सी कथाएं हैं माता वैष्णो देवी से जुड़ी हुई जो कि हमें सुनने को मिलती है

भारत का धार्मिक मंदिर अमृतसर में स्वर्ण मंदिर :-

भारत के धार्मिक तीर्थ स्थलों में से एक तीर्थ स्थल है अमृतसर का स्वर्ण मंदिर हरमिंदर साहिब सिक्खों के चौथे गुरु श्री रामदास साहिब जी द्वारा निर्मित किया गया है भारत में धार्मिक स्थलों की यात्रा करने के लिए गुरुद्वारा हरमंदिर साहिब भारत में सिख तीर्थ स्थलों में से खास माना जाता है स्वर्ण जयंती अपवित्र पर्यटन स्थल अपने में कई ऐतिहासिक घटनाओं को समेटे हुए है अमृतसर का स्वर्ण मंदिर पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है अमृत कलश और तीर्थ परिसर की यात्रा ट्रस्टी यों को बहुत ज्यादा लुभाता है या तीर्थ स्थल बहुत ही सुंदर और आकर्षित है अमृतसर का स्वर्ण मंदिर केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का मशहूर मंदिर है या सिख धर्म के मशहूर तीर्थ स्थलों में से एक है इस मंदिर का ऊपरी माला 400 किलो सोने से निर्मित है इसलिए इस मंदिर को स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है बहुत कम लोग जानते हैं लेकिन इस मंदिर को हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है स्वर्ण मंदिर को बनवाने वाले बहुत सारे इतिहास हैं बोला जाता है अमृतसर का इतिहास करीब 400 साल पुराना है या गुरुद्वारे की 1577 में चौथे गुरू रामदास ने 500 बीघा में रखी थी अमृतसर का मतलब है अमृत का गुरु अर्जुन देव जी ने इस पवित्र सरोवर के बीच में हरमंदिर साहिब यानी स्वर्ण मंदिर का निर्माण किया और यहां सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ ग्रंथ की स्थापना की श्री हरमिंदर साहिब परिसर अकाल तख्त का भी घर माना जाता है एक और संस्कार में बताया गया है कि सम्राट अकबर ने गुरु रामदास की पत्नी को भूमि दान की थी फिर 1581 में गुरु अर्जुन दास ने इसका निर्माण शुरू कराया निर्माण के दौरान यह सरोवर सूखा और खाली रह गया था हरमंदिर साहिब के पहले संस्कार को पूरा करने में पूरे 8 साल का समय लगा था इस मंदिर में 4 घंटा लगता है आपका जब दिल करे आप यहां पर लंगर खा सकते हैं बोला जाता है स्वर मंदिर के गुरुद्वारे में होने वाले लंगर में हर कोई शामिल हो सकता है सुनकर भले ही आपको हैरत हो लेकिन स्वर्ण मंदिर की किचन में हर रोज 40000 लोगों को निशुल्क खिलाया जाता है चार लाख लोग यहां लंगर खाते हैं यहां ज्यादातर रोटी परोसी जाती है जिसके लिए 12000 किलो आटा हर रोज लगाया जाता है इस मंदिर को घूमने के लिए लोग बहुत दूर-दूर से आते हैं अमृतसर में ऐसे बहुत से स्थान है जहां आप घूम सकते हैं गुरुद्वारा में जाने के पहले कुछ नियम होती है जो कि हमें पालन करनी चाहिए जैसे कि आप गुरुद्वारा के अंदर प्रवेश कर रहे हैं तो अपने सिर को रूमाल दुपट्टा या स्कार्फ से ढकी ए मंदिर में दर्शन के दौरान कट स्लीव ड्रेस पहनने से बचें यहां पर कट स्लीव ड्रेस पहनने वालों को भी मना किया जाता है गुटों के ऊपर की कोई भी ड्रेस पहनना यहां अलाउड नहीं है अमृतसर में ज्यादा होती है इसलिए यहां घूमने आने के लिए अपने साथ कॉटन के कपड़े ही यहां फोटोग्राफी केवल परिक्रमा तक ही अलाउड है इसके बाद अंदर फोटो खींचने के लिए विशेष तौर से परमिशन लेनी होती है और अपने साथ शराब सिगरेट मीटर ट्रक चलाना बिल्कुल निषेध है आप यहां पर शराब सिगरेट यह सब चीज नहीं ला सकते हैं दरबार साहिब के अंदर हो रहे बोला जाता है यदि आप यदि आप पर गुरु ग्रंथ साहिब को सम्मान देना चाहते हैं तो गुरुद्वारा में या कहीं भी जैसे आप स्वर्ण मंदिर गए हैं तो वहां पर जो दरबार साहिब के अंदर हो रहे गुरुवाणी होती है उसे हमें नीचे बैठकर सुनना चाहिए सुनने से ही गुरु ग्रंथ साहिब को सम्मान मिलता है अगर आप पहली बार स्वर्ण मंदिर जा रहे हैं तो आपको पहले यह सब चीजों का पालन करना होगा

भारत के पवित्र तीर्थ स्थल अयोध्या :-

अयोध्या भारत के सबसे प्राचीन धार्मिक नगरों में से एक हैं धार्मिक पौराणिक महत्व रखने वाले यह नगर उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिला के अंतर्गत आता है यह पवित्र सरयू नदी के तट पर स्थित है अयोध्या हिंदुओं और जैन धर्म के प्राचीन पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है पहले इस नगर को कौशल देश की के नाम से भी जाना जाता था सरयू नदी के तट पर बसे इस धर्म नगरी की स्थापना वाल्मीकि रचित रामायण अनुसार सूर्य के पुत्र महाराज व्यवस्था मनु द्वारा की गई है मथुरा के इतिहास के अनुसार व्यवस्थाओं का जंग लगभग 6673 ईसा पूर्व हुआ था ब्रह्मा जी के पुत्र महा ऋषि कश्यप का जन्म हुआ कश्यप से विवस्वान और विश्वास के पुत्र व्यवस्था वेद में अयोध्या का उल्लंघन एक ईश्वर नगर के रूप में किया गया है अयोध्या सतयुग में एक है अयोध्या का महत्व इस बात में भी नहीं था कि जब भी प्राचीन भारत के तीर्थों का उल्लंघन होता है तब उसमें सर्वप्रथम अयोध्या का ही नाम आता है अयोध्या मथुरा माया काशी कांची पूरी द्वारावती चेक सप्ताह मोक्ष दायक का यह सब स्थानों पर माना जाता है यह हिंदू धर्म और उसके प्रतिरोधी संप्रदायों जैन और पौधों का भी पवित्र धार्मिक स्थान है यहां पर बोला जाता है कि यह स्थान पवन पुत्र हनुमान के आराध्य और हिंदुओं की आस्था के केंद्र प्रभु श्री राम की जन्म स्थली है भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहते हैं पौराणिक मान्यता है कि चैत्र मास की नवमी को भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था तब से इस दिन को रामनवमी के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है अयोध्या नगर के केंद्र में स्थित हनुमान नगरी मंदिर सिद्ध पीठ मंदिर के मुख्य द्वार से महज 76 कदम चलकर पहुंचा जा सकता है मान्यता है कि हनुमानजी यहां एक गुफा में रहते हैं और राम जन्म भूमि तथा रामकोट की रक्षा करते हैं क्योंकि भगवान हनुमान जी भगवान राम के परम भक्त हैं मुख्य मंदिर में बाल हनुमान जी के साथ माता अंजनी की प्रतिमा स्थापित है श्रद्धालुओं का विश्वास है कि हनुमानजी के दर्शन मात्र से उनकी सारी मनोकामना पूरी हो जाती है अयोध्या 3 मार्ग वायु रेल और सड़क मार्ग से बड़ी ही आसानी से पहुंच सकते हैं अयोध्या से सबसे निकटतम अमौसी एयरपोर्ट लखनऊ में है जो यहां से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह एयरपोर्ट देश के प्रमुख शहरों से कई साइटों के माध्यम से जुड़ा हुआ है अयोध्या देश के किसी भी कोने से रेल द्वारा पहुंचाया जा सकता है अयोध्या सड़क मार्ग से भी पहुंच सकते हैं अयोध्या में बहुत से ऐसे स्थान हैं जहां आप घूम सकते हैं जैसे की सरयू नदी यहां से होकर बहती है सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट हैं इनमें गुप्त द्वार घाट के कई घाट कौशल्या घाट पाप मोचन घाट लक्ष्मण घाट ऐसे बहुत से विशेष उल्लेखनीय घाट हैं जो कि आप अयोध्या जाने के बाद दर्शन अयोध्या में कर सकते हैं अयोध्या में रघुवंशी राजाओं की बहुत पुरानी राजनीति राजधानी थी पहले यह कौशल जनपद की राजधानी थी प्राचीन और लेखों के अनुसार तब इसका क्षेत्रफल 96 वर्ग मिलता वाल्मीकि रामायण के 5 वर्ग में अयोध्या पुरी का वर्णन विस्तार से किया गया है

भारत का ऐतिहासिक धार्मिक स्थल कोणार्क सूर्य मंदिर :-

कोणार्क के सूर्य मंदिर भारत में ओडिशा के तट पर पूरी तरह से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर पूर्व कोणार्क में स्थित है हिंदू देवता सूर्य को समर्पित यह एक विशाल मंदिर है और भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल है इसे प्राचीन मंदिर को देखने के लिए बहुत से श्रद्धालु आते हैं यहां पर इस मंदिर को देखने के लिए विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं कोणार्क दो शब्दों को ऑन और अर्थ से मिलकर बना है जहां कौन का अर्थ को ना और अर्थ का अर्थ सूरी दोनों को संयुक्त रूप से मिलाने पर या सूर्य का कोना है यानी कुणाल कहा जाता है इस मंदिर को ब्लैक पैगोडा नाम से भी जाना जाता है कोणार्क के सूर्य मंदिर को यूनेस्को ने 1984 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी थी इस मंदिर को बनवाने की सभी लोग अलग-अलग कथाएं बताते हैं बोला जाता है कि ब्राह्मण मान्यता के आधार पर इस मंदिर का निर्माण तेरी में शताब्दी में पूर्व गंगा राजवंश के राजा नरसिंह देव प्रथम द्वारा किया गया था और यह चूड़ी देव सूर्य को समर्पित धाम कोणार्क सूर्य मंदिर भारत के ओडिशा के तट पर पूरी से लगभग 35 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में कोणार्क में 13वीं शताब्दी का एक प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में से एक है जो कि चंद्रभागा नदी के किनारे स्थित है यह 13वीं शताब्दी के मध्य में निर्मित कोणार्क का सूर्य मंदिर आत्मक भाव और इंजीनियरिंग की निपुणता का एक विशाल संगम है गंगा ब्रिज के महान शासक राजा प्रथम ने अपना शासनकाल 1243 से 1200 के दौरान भारत कार्यक्रम की मदद से कोणार्क के सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण के पुत्र को अपने पिता के श्राप के कारण कुष्ठ रोग हो गया था संभावना मित्र बन में चंद्रभागा नदी के सागर संगम पर कोणार्क में 12 वर्ष तक तपस्या की और सूर्य देव को प्रसन्न किया था जिससे उनकी बीमारी ठीक हो गई इसका आभार प्रकट करने के लिए उन्हें सूर्य के समान में एक मंदिर बनाने का फैसला किया अगले दिन नदी में नहाते समय उन्होंने भगवान की एक प्रतिमा मिली जो विश्वकर्मा द्वारा सूरज की शरीर से निकली गई थी सांभर ने यह चित्र मित्र वन में उनके द्वारा बनाए गए मंदिर में स्थापित किया जहां उन्होंने भगवान को प्रवचन दिया तब से यह स्थान पवित्र माना जाता है और कोणार्क के सूर्य मंदिर के रूप में जाना जाता है इस मंदिर के रोचक तथ्य बोला जाता है कि मंदिर के सिर पर एक भारी चुंबक रखा गया था और मंदिर के हर दो पत्थर लोहे की प्लेटों से सुसज्जित है कहा जाता है कि मैग्नेट के कारण मूर्ति हवा में तैरती हुई दिखाई देती है सूर्य देव को उर्जा और जीवन का प्रत्येक माना जाता है कोणार्क में सूर्य मंदिर रोगों के उपचार और इच्छाओं को पूरा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है कोणार्क का सूर्य मंदिर उड़ीसा में स्थित पांच महान धार्मिक स्थलों में से एक है कोणार्क के सूर्य मंदिर की विशेषता यह है कि इस मंदिर के आधार पर 12 जोड़ी पहिए स्थित हैं वास्तव में यह पहिए इसलिए अनोखी है क्योंकि यह समय भी बताते हैं इन्हें की छाया देखकर दिन के समय का अंदाज लगाया जा सकता है माना जाता है कि कोणार्क मंदिर में सूर्य की पहली किरण सीधे मुख्य प्रवेश द्वारा पर पड़ती है सूरज की किरने मंदिर से पार होकर मूर्ति के केंद्र में हीरे से प्रतिबिंब होकर चमकदार दिखाई देता है कोणार्क सूर्य मंदिर के प्रवेश द्वार के दोनों और दो विशाल शेर स्थापित किए गए हैं इन शहरों द्वारा हाथी को कुछ चलता हुआ प्रदर्शित किया गया है प्रत्येक हाथी के नीचे मानव शरीर है जो मनुष्य के लिए संदेश देता हुआ मनमोहक दृश्य लगता है यहां पर देश-विदेश से लोग इस भविष्य को देखने के लिए आते हैं आप यदि सूर्य मंदिर जाना चाहते हैं तो ओडिशा राज्य में चंद्रभागा नदी के किनारे स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर पर्यटन स्थल घूमने के लिए फरवरी से अक्टूबर तक का समय बेहतरीन माना जाता है ताकि एक छोटा सा स्थान है जहां मंदिर स्थित है इसलिए पहले आसपास के शहरों तक पहुंचकर फिर कोणार्क मंदिर जाना पड़ता है

भारत का दर्शनीय स्थल सोमनाथ ज्योतिर्लिंग :-

भारत के धार्मिक स्थलों में शामिल सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का पहले द्वादश ज्योतिर्लिंग है सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य में स्थित हिंदू धर्म का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है हिंदू धर्म से संबंधित या पवित्र स्थान पर्यटकों को अपने दरबार में आमंत्रित करता है यहां पर देश-विदेश से लोग आते हैं बोला जाता है जो मनोकामना होती है इस मंदिर में आने के बाद परिपूर्ण हो जाती है यह मंदिर भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहला माना जाता है यह प्राचीन समय में इस मंदिर को कई मुस्लिम आक्रमणकारियों और पुर्तगालियों द्वारा बार-बार ध्वस्त करने के बाद वर्तमान हिंदू मंदिर का निर्माण वस्तु कला की चालू किस शैली में किया गया सोमनाथ का अर्थ है भगवानों के भगवान जिसे भगवान शिव का अंश माना जाता है गुजरात का सोमनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है यह मंदिर ऐसी जगह पर स्थित है जहां अंटार्टिका तक सोमनाथ समुद्र के बीच सीधी रेखा में कोई भूमि नहीं है सोमनाथ मंदिर के प्राचीन इतिहास और इसके बस तू अकेला और प्रसिद्धि के कारण इसे देखने के लिए देश और दुनिया में भारी संख्या में पर्यटक यहां घूमने को आते हैं यह मंदिर बहुत ही ज्यादा भाव लगती है यह देखने में इतनी आकर्षित है कि यहां आने के बाद सभी लोग भाव विभोर हो जाते हैं माना जाता है कि सोमनाथ मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव सोमराज ने किया था इसका उल्लेख ऋग्वेद में किया गया है इतिहासकारों का मानना है कि गुजरात के वेरावल बंदरगाह में स्थित सोमनाथ मंदिर की महिमा और दूर-दूर तक फैली हुई है यात्री अलबरूनी ने अपनी यात्रा वृंदावन में इसका उल्लेख किया था जिस से प्रभावित होकर महमूद गजनवी ने सन 1024 में अपने 5000 सैनिकों के साथ सोमनाथ मंदिर पर हमला किया और उसकी संपत्ति लूट कर मंदिरों को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया उस दौरान सोमनाथ मंदिर के अंदर लगभग 50 लोग पूजा करते थे गजनी ने सभी लोगों का कत्ल करवा दिया और यूटीवी संपत्ति लेकर भाग गए इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोजन ने इसका दोबारा निर्माण कराया सन 19 सन 1297 में जब दिल्ली से गुजरात सोमनाथ मंदिर गिराया गया मुगल बादशाह औरंगजेब ने 1702 में आदेश दिया कि यदि हिंदू सोमनाथ मंदिर में दोबारा से पूजा के तो इसे पूरी तरह से ध्वस्त करवाया जाए आखिरकार उसने सत्र में सोमनाथ मंदिर को गिरा दिया इस तरह देखा जाए तो मंदिर बहुत रात हुई फिर भी इस मंदिर को खड़ा किया गया इसलिए सोमनाथ मंदिरों की कहानी बहुत सी है इसलिए हमें चाहिए कि सोमनाथ मंदिर एक बार जरूर चले और वहां की सभी चीजें देख कर आए सोमनाथ मंदिर से जुड़ी कथा बहुत प्राचीन एवं निराली है की विधियों के अनुसार सौम्या चंद्र ने राजा दक्ष की 27 पुत्रों के साथ अपना विवाह रचाया था लेकिन वे सिर्फ अपनी एक ही पुत्री को सबसे ज्यादा प्यार करते थे अपने अतिथियों के साथ यह अन्याय होता देख राजा दक्ष ने उन्हें अभिशाप दिया कि आज से तुम्हारी चमक और तेजी से धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा इसके बाद चंद्र देव की चमक हर दूसरे दिन घटने लगी राजा दक्ष के श्राप से परेशान होकर सामने शिव की आराधना शुरू की भगवान शिव ने स्वयं की रात ना से प्रसन्न होकर उन्हें दक्ष के अभिशाप से मुक्त किया साफ से मुक्त होकर राजा सॉन्ग चंदन ने इस स्थान पर भगवान शिव के मंदिर का निर्माण कराया और मंदिर का नाम रखा गया सोमनाथ मंदिर तब से यह मंदिर पूरे भारत देश में और तो और पूरे विश्व भर में विख्यात हो गया सोमनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग में रेडियोधर्मी गुण है जो जमीन के ऊपर संतुलन बनाए रखने में मदद करता है इस मंदिर के निर्माण में 5 वर्ष लगे थे सोमनाथ मंदिर की शिखर की ऊंचाई 150 फीट है और मंदिर के अंदर गर्भ गृह सभा मंडप पर नृत्य मंडप भी है यहां पर 3 नदियां हिरन कपिला और सरस्वती का संगम है और इस त्रिवेणी मेला स्नान करने आते हैं मंदिर नगर के 10 किलोमीटर में फैली है और इसमें 42 मंदिर हैं सोमनाथ मंदिर को शुरुआत में प्रवाह क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता था और यहीं पर भगवान श्री कृष्ण ने अपना देह त्याग किया था माना जाता है कि आगरा में रखे देवदार सोमनाथ मंदिर के ही हैं जिन्हें महमूद गजनबी ने अपने साथ लूटकर ले गया था पर्यटकों और भक्तों के लिए सोमनाथ मंदिर सुबह 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है मंदिर में तीन बार आरती होती हैं इस अद्भुत आरती को देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु इकट्ठे होते हैं

 

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