बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थल

बिहार भारत का एक खूबसूरत राज्य है जो कि चारों और से पश्चिम बंगाल उत्तर प्रदेश नेपाल और झारखंड से घिरा हुआ है बिहार की राजधानी पटना है जो कि पर्यटन के लिए लिहाजा यह एक शानदार डेस्टिनेशन है बिहार राज माता गंगा और उसकी कुछ प्रमुख सहायक नदियां के उपजाऊ क्षेत्र में बसा हुआ है बिहार में बहुत से तीर्थ स्थान है जहां पर आप पर घूम सकते हैं बिहार राज्य उत्तर भारत का राज्य बिहार देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य बिहार हिंदू उज्जैन और विशेषता बौद्ध धर्म के लोग के लिए धार्मिक केंद्र हुआ करता है यह राज्य भारत के कुछ महान सम्राटों जैसे मौर्य और गुप्त के उदय और उनके पतन का गवाह रहा है बिहार राज्य का इतिहास बहुत ही प्राचीन और विस्तृत रहा है बिहार अपनी भौगोलिक स्थिति और जलवायु परिस्थितियों की वजह से कई व रेशम राज्यों की राजधानी के रूप में जाना जाता है बिहार राज्य की पृष्ठभूमि पर प्राचीन काल में बौद्धिक आर्थिक और राजनीतिक क्रियाकलापों में तेजी दिखाई गई है बिहार को प्राचीन काल में मगध नाम से जाना जाता था और इसकी राजधानी राजगीर हुआ करती थी मगध के सबसे शक्तिशाली राजा जरासंध थे बिहार की वर्तमान राजधानी पटना को पाटलिपुत्र के नाम से भी जाना जाता है बिहार में बहुत से मठों और तीर्थ स्थल भी मिलेंगे जो कि उनकी यात्रा को सफल और यादगार बना देंगे बिहार पर्यटन और इसकी संस्कृति के बारे में आप जानकारी ले सकते हैं बिहार में बहुत से धार्मिक स्थल हैं जो कि आप पर देख सकते हैं और घूम सकते हैं तो चलिए अब हम देखते हैं कि बिहार में कौन-कौन से पवित्र स्थान है जहां पर कि हमें घूमना चाहिए



1.  बिहार में घूमने लायक जगह पटना पर्यटन :-

पटना बिहार की राजधानी पटना है जो कि गंगा वह सोन नदी के तट पर स्थित है इसका प्राचीन नाम पाटलिपुत्र के नाम से भी जाना जाता है अजातशत्रु के पुत्र उदय भद्र ने 444 से 460 ईसवी में पाटलिपुत्र की स्थापना की और उसे अपनी राजधानी बनाया यह शहर दुनिया के सबसे पुराने बसे शहरों में से एक माना जाता है यह गंगा नदी के दक्षिण छोर पर स्थित है पटना एक ऐतिहासिक और आकर्षित पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है पटना शहर धार्मिक दृष्टि महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ आध्यात्मिक महत्व भी रखता है बिहार के पटना को सीखो जैन हिंदुओं और बौद्धों के तीर्थ स्थल का प्रवेश द्वार भी माना जाता है उत्तर भारत के सबसे बड़े शहर के रूप में विख्यात पटना तारामंडल हाई कोर्ट पटना साहिब गुरुद्वारा पाटिल की हवेली और सचिवालय भवन जैसे आकर्षण से ओतप्रोत है पटना एक ऐतिहासिक शहर है जो इतिहास को दर्शाने वाले कई ऐतिहासिक स्मारकों को समेटे हुए हैं जैसे कि मनेर शरीफ यहां एक ऐतिहासिक स्थल है जिसमें 2 कमरे हैं जो शायद दौलत और मखदूम शाह मंत्री हैं तख्त श्री पटना साहिब यहां सीखें खोका एक पवित्र स्थान है जिसका निर्माण महाराजा रणजीत सिंह द्वारा करवाया गया था इसके अलावा यहां एक पत्थर की मस्जिद सरचना भी स्थित है जिसका निर्माण पत्थर से किया गया है पटना भारत का एक प्राचीन शहर है जो अपने कई मंदिर पर्यटन स्थलों और विभिन्न धर्मों के तीर्थ स्थलों के लिए प्रसिद्ध है पटना में आपको बहुत सी चीज देखने को मिलेंगे गोलघर पटना का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और एक सरल लेकिन आकर्षक वस्तु कला है जो इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है गोलघर का निर्माण 1846 में कैप्टन जॉन एक गोदाम के रूप में अनाज को स्टोर करने के लिए करवाया था बताया जाता है कि गोलघर को इस की अधिकतम क्षमता तक कभी नहीं भरा गया था क्योंकि इसकी इंजीनियरिंग में गलती हो जाने की वजह से इसके दरवाजे सिर्फ अंदर की तरफ होते थे गोलघर की सरचना है जो 145 सीढ़ियों से घिरा हुआ है या सरचना 125 मीटर और 3 मीटर मोटी है गोलघर गंगा नदी के शानदार दृश्य को भी देख सकते हैं पटना में ही आप महात्मा गांधी सेतु पुल भी देखेंगे यह सबसे बड़ा पुल भूपेन हजारिका सेतु के बाद भारत का दूसरा सबसे लंबा नदी पुल है बिहार में स्थित महात्मा गांधी से 5 किलोमीटर तक फैला हुआ है स्कूल का नाम भारत के राष्ट्रपति महात्मा गांधी के नाम पर रखा गया है यह पुल में दो तरह की सड़क और पैदल चलने के लिए भी जगह है जयपुर दैनिक वाहनों के लिए परिवहन का एक हिस्सा बना हुआ है पटना में ही आपको साहिब गुरुद्वारा देखने को मिलेगा जो कि सिखों का प्रमुख तीर्थ स्थल है जिसका निर्माण महाराजा रंजीत सिंह ने करवाया था पटना गुरु गोविंद सिंह जी की जन्मभूमि है और उन्हीं की याद में इस गुरुद्वारे का निर्माण करवाया गया थागुरु गोविंद सिंह जी सिखों के दसवें और अंतिम गुरु थे इस गुरुद्वारे में सिक्खों के कई धर्म ग्रंथ देखे जा सकते हैं यह जगह सिखों का अधिकार के पास तत्काल एक या पवित्र सीटों में से एक है इस स्थान पर मूल रूप से सालिस राय जोड़ी की हवेलियां थी जिनको धर्मशाला में बदल दिया था क्योंकि वह गुरु नानक के एक भक्त थे

2.  बिहार का प्रमुख पर्यटन स्थल बोधगया  :-

बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थल में बोधगया भी शामिल है यह एक प्रमुख आकर्षक पर्यटन स्थल है जोकि बौद्ध धर्म से संबंधित अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है बोधगया एक तीर्थ स्थल के रूप में भी जाना जाता है और यह वह स्थान जहां बौद्ध वृक्ष के नीचे गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी बोधगया को यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में स्थापित किया गया है बोधगया बिहार की राजधानी पटना के दक्षिण पूर्व में लगभग 1 किलोमीटर दूरी पर स्थित है यह गया जिस से सटा हुआ एक छोटा सा शहर है बौद्ध गया गंगा की सहायक नदी फल्गु नदी के किनारे पश्चिम दिशा में स्थित है वह द्वारा बोधगया को दुनिया की सबसे पवित्र शहरों में से एक माना जाता है क्योंकि यहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुआ था बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर को वर्ष 2002 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया यहां बौद्ध धर्म को मनाने वाले के अलावा अन्य धर्म के लोग भी आते हैं और प्रचार प्रसार करते हैं बोधगया एक प्राचीनतम शहर है लगभग 5 वर्ष पूर्व बोधगया में ही गौतम बुद्ध को फल्गु नदी के तट पर बोधि वृक्ष के नीचे कठिन तपस्या करना पड़ा था उसके बाद ही भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी ज्ञान प्राप्त होने के बाद बुध के नाम से जाने गए क्योंकि भगवान बुद्ध को वैशाख महीने में पूर्णिमा के दिन ज्ञान की प्राप्ति हुई थी उस स्थान पर जुटने लगे धीरे-धीरे यह जगह बोधगया के नाम से जाना गया और यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है बहुत से लोगों का मानना है कि बोधगया के महाबोधि मंदिर में स्थापित बुद्ध की मूर्ति साक्षात उसी अवस्था में है जिस अवस्था में बैठक उन्होंने तपस्या की थी और वह मूर्ति स्वयं भगवान बुद्ध द्वारा स्थापित की गई थी बुध की यह मूर्ति बौद्धिक जगत में सार अधिक पृष्ठों प्राप्त मूर्ति हैं नालंदा और विक्रमशिला के मंदिर में भी इस मूर्ति की प्रतिकृति को स्थापित किया गया है यह मंदिर में शताब्दी तक बोधगया भगवान बुध के कारण बहुत प्रसिद्ध रहे लेकिन अचानक हुए राजनीतिक उथल-पुथल के कारण यह शहर कई शताब्दी तक अपेक्षित रहा बोधगया में घूमने के लिए बहुत से आकर्षण बौद्धिक मंदिर है लेकिन इसके अलावा भी हां कई रमणीय स्थल है जो देखने के लायक है अब बोधगया में जाने के बाद आपको बोधि वृक्ष भी देखने लायक है इसी वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान का प्राप्त हुआ था माना जाता है कि यह पेड़ मूल बुद्धि वृक्ष का ही एक ही भाग है जिसे राजा अशोक की बेटी श्रीलंका ले गई थी यहां पर बहुत सारे मठरी हैं जैसे की छाई मध्य सोने से बनी टायरों से ढकी घुमारो और ढलान वाली और रॉयल भूटानी मठरी है या बौद्ध मठों से एक है इसका निर्माण के द्वारा भगवान बुद्ध को श्रद्धांजलि के रूप में किया गया था और यहां पर भगवान बुद्ध की आपको प्रतिमा देखने को मिलेगी जो बहुत ही आकर्षक लगती हैं या प्रतिमा की ऊंचाई 80 फीट है और महान बुद्ध प्रतिमा बनी हुई है यहां पर आपको जापानी मंदिर भी देखने को मिलेगी जो कि वस्तु कला से बना है जिसमें भगवान बुद्ध के उपदेशों की नक्काशी की गई है इस मंदिर का निर्माण 1972 में किया गया था

3.  बिहार का ऐतिहासिक स्थल नालंदा :-

विश्वप्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय भारत की ही नहीं दुनिया में एक और था इस विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ईसवी में गुप्त शासक कुमारगुप्त ने की थी नालंदा दुनिया भर में प्राचीन काल में सबसे बड़ा अध्ययन का केंद्र दुनिया भर के छात्र यहां पढ़ने आते थे चीनी यात्री हेनसांग में नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्ध दर्शन धर्म और साहित्य का अध्ययन किया था उसने 10 वर्षों तक यहां अध्ययन किया उसके अनुसार इस विश्वविद्यालय में प्रवेश पाना सरल नहीं था यहां केवल उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र को ही प्रवेश मिलती थी प्रवेश के लिए पहले छात्र की परीक्षा होती थी उसमें उत्तीर्ण होना पड़ता था उत्तीर्ण होने के बाद ही विश्वविद्यालय एडमिशन मिलती थी प्रत्येक द्वार पर एक द्वार पंडित होता था जो कि प्रवेश से पहले ही छात्रों की परीक्षा लेता था और वह परीक्षा इतना हाथ होता था कि उस परीक्षा में छात्र 20 से 30% ही पास कर पाते थे विश्वविद्यालय में प्रवेश के बाद भी छात्रों को धन और परिश्रम करना पड़ता था तथा उन अनेक परीक्षाएं उत्तीर्ण होना नालंदा विश्वविद्यालय यह विश्वविद्यालय में स्थापित होने वाला पहला विश्वविद्यालय हैं यहां पर महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग पर स्थित एक समृद्ध का था जो राजगिरी से गुजरा जो उस समय की राजधानी मगध मगध वर्तमान बिहार झारखंड बंगाल और ओडिशा के कुछ हिस्सों के साथ एक विशाल राज था जब साथ में शताब्दी ईस्वी के दौरान चीनी विद्वान हैंड सॉन्ग तथा असम नालंदा आए थे तब नालंदा विश्वविद्यालय में लगभग 10000 छात्र और 2000 शिक्षक थे कन्नौज के राजा हर्षवर्धन और पाल शासकों के साथ-साथ विभिन्न विद्वानों द्वारा विभिन्न शासकों द्वारा संचालित यह एक अंतरराष्ट्रीय संस्था थी जिसमें कोरिया जापान चीन तिब्बत तुर्की ऐसे बहुत से देशों से छात्र यहां पर पढ़ने के लिए आते थे नालंदा में बहुत से चीज देखने लायक है अभी के टाइम में नालंदा विश्वविद्यालय फिर से तैयार किया गया है लेकिन यहां के खंडहर पुरातात्विक परिसर की खुदाई कुल क्षेत्रफल लगभग 14 हेक्टेयर हैं जो कि कुछ खंडहर की इमारतें देखने को भी मिलती है ये इमारतें लाइट ईटों की है और बगीचे बेहद खूबसूरत हैं इमारतों को एक के केंद्र पैदल मार्ग द्वारा विभाजित किया जाता है पैदल मार्ग के पूर्व में स्थित है और मंदिर पश्चिम में स्थित है खुदाई के दौरान और मठों से बने 6 मंदिरों की व्यवस्थित रूप से प्रकट किया गया था यहां का अन्य दर्शनीय स्थल नालंदा पुरातत्व संग्रहालय में है जो विद्यालय के प्रवेश द्वार के सामने स्थित है नालंदा विद्यालय अध्ययन की एक अच्छी जगह थी और विश्वविद्यालय में विभिन्न विषयों को पढ़ाया जाता था तो हमें चाहिए कि नालंदा विश्वविद्यालय का दर्शन एक बार जरूर करें और वहां पर देखें और कौन-कौन सी चीजें हैं नालंदा में जो कि हमें देखने योग्य हैं

4.  बिहार का धार्मिक स्थल वैशाली :-

वैशाली बिहार का एक ऐसा जिला है यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल अशोका स्तंभ बौद्ध स्तूप पर राजा विशाल का कार्य आदि है वैशाली तीर्थ स्थल बिहार का वह धार्मिक स्थान है जहां भगवान महावीर का जन्म हुआ था वैशाली बिहार का एक छोटा सा जिला है जो कि बुध जैन और हिंदू धर्म से संबंधित अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है माना जाता है कि वैशाली का नाम महाभारत काल से ही संबंध रखता है जो कि राजा विशाल के नाम पर रखा गया था इस स्थान पर भगवान बुद्ध ने अपना जीवन के कुछ पल व्यतीत किए थे यह देखने में मंदिर बहुत ही आकर्षित लगता है यहां पर लोग देश विदेश से दर्शन करने भी आते हैं विश्व को गणतंत्र जैसा शासन तंत्र देने वाला भी बिहार स्थित वैशाली ही है यहां पर जैन धर्म के संस्थापक महावीर का जन्म हुआ था इसलिए कहा जाता है कि जैन धर्म का प्रमुख धार्मिक स्थल वैशाली ही है अशोक स्तंभ विश्व शांति स्तूप पौधे स्तंभ वैशाली में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है यहां पर बहुत से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं भगवान बुद्ध की दर्शन करने के लिए आते हैं भगवान महावीर की दर्शन करने के लिए आते हैं ऐसे बहुत से चीजें हैं जो कि सभी लोग दर्शन करने के लिए वैशाली आते हैं

5.  बिहार का प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल मुंगेर शहर :-

बिहार के प्राचीन शहरों में मुंगेर का विशेष महत्व है गंगा तट पर बसे मुंगेर की शासन पूरे दुनिया में योग का प्रचार प्रसार करता है मुंगेर अमीर कश्मीर का राजधानी भी रह चुका है और अमीर काश में किले के कुछ ही दूरी पर गर्म जल का कुंड है जिसे सीता कुंड के नाम से जाना जाता है मान्यता है कि यहां पर माता सीता अग्नि परीक्षा के बाद इसी कुंड में स्नान की थी और मुंगेर पर्यटन स्थल मिडलैंड के नाम से भी जाना जाता है मुंगेर के प्रसिद्ध मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है और अपने यहां के लिए पर्यटकों को आकर्षित करते हैं मुंगेर को बिहार स्कूल ऑफ योग सिटी के नाम से भी जाना जाता है अमीर कश्मीर की राजधानी के रूप में तो इसे जाना ही जाता है मुंगेर शहर अपने प्रमुख आकर्षण श्री कृष्णा वाटिका के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि मुंगेर में ही कृष्ण वाटिका है और माता सीता कुंड है मन पत्थर और दिलबर पुर जैसे आकर्षण के लिए बहुत अधिक प्रसिद्ध है जो कि आपको मुंगेर में देखने को मिलता है इसलिए हमें चाहिए किएक बार मुंगेर का यात्रा जरूर करें

6.  बिहार में घूमने के लिए अच्छी जगह भागलपुर :- 

भागलपुर शहर से करीब 50 किलोमीटर पूर्व में कहलगांव के पास गांव स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय खंडहर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी है इस विश्वविद्यालय की स्थापना पाल वंश के राजा धर्मपाल ने आठवीं सदी के अंत अंतिम वर्ष यानी सदी की शुरुआत में की थी करीब 4 सदियों तक वजूद में रहने के बाद 10 मी सदी की शुरुआत में यह नष्ट हो गया भागलपुर सिटी को सिल्क सिटी के नाम से भी जाना जाता है यह ऐतिहासिक शहर है जो कि गंगा नदी के दक्षिण तट पर स्थित है भागलपुर बिहार का तीसरा सबसे बड़ा शहर माना जाता है और इसके साथ-साथ यहां के प्रमुख शैक्षिक संस्था के लिए भी जाना जाता है भागलपुर के प्रमुख आकर्षण विक्रमशिला गंगात्मक डॉल्फिन अभयारण्य हैं जोकि पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं। बिहार का भागलपुर अपने रेशम के उद्योग के लिए पहचाना जाता हैं। भागलपुर में आपको बहुत सी चीजें देखने को मिलेगी जो कि आपको बहुत ज्यादा आकर्षित करेगी भागलपुर के अंदर ही आपको कुप्पाघाट भी देखने को मिलेंगे बाबा बटेश्वर का मंदिर भी देखने को मिलेगा ऐसी बहुत सारे मंदिर हैं जो कि भागलपुर में आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है भागलपुर से सटे मंदार वह मंदार हिल तो जीवन में एक बार जाना ही चाहिए

7.  बिहार पर्यटन में घूमने के लिए खुबसूरत जगह राजगीर :-

बिहार के धार्मिक और घूमने वाले स्थानों की सूची में शामिल राजगीर एक प्रमुख पर्यटन स्थल में से एक है राजगीर जैन और बौद्ध धर्म से संबंधित है इसके अलावा राजगीर के प्रमुख आकर्षण में शामिल यहां की खूबसूरत वादियां रहस्यमई चट्टानी पहाड़ियां घने हरे-भरे जंगल झरने और गुफाएं आदि शामिल है राजगीर में ही भगवान बुद्ध और भगवान महावीर ने अपने जीवन का कुछ समय इस स्थान पर आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व के उपदेश देते हुए बिताए थे राजगीर नालंदा स्थित राजगीर बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है यह सात पहाड़ियों से घिरा हुआ सुंदर सा शहर है पहाड़ियों पर बौद्ध जैन और हिंदू धर्म के बहुत से मंदिर स्थित हैं राजगीर स्थित घोरा कटोरा झील आकर्षण का केंद्र है जहां शेर टमटम या साइकिल से जाया जाता है भ्रम में कुंड और मुख्य दुम कुंडे बहुत सारे गर्म जल कुंड में प्रसिद्ध है मगध राजा जरासंध का अखाड़ा यहीं पर हुआ था सोनभंडार विश्व शांति स्तूप राजगीर में स्थित है बहुत से प्रमुख पर्यटन स्थल राजगीर में आपको देखने को मिलेंगे राजगीर के कुछ ही दूरी पर स्थित है जल मंदिर जैन धर्म का प्रमुख स्थल है राजगीर में बहुत से धर्म के लोग आते हैं जैसे कि बौद्ध धर्म के लोग जैन धर्म के लोग हिंदू धर्म के लोग क्योंकि यहां पर आपको सभी की मंदिर देखने को मिलेगी यहां पर बहुत से लोग घूमने के लिए आते हैं विश्व शांति स्तूप राजगीर में ही स्थित है यहां पर शांति बैंक गोंडा बिहार के प्रमुख आकर्षणों में से एक है जो पूरे विश्व के लोग को आकर्षित करता है प्राचीन समय में मगध राजवंश की पहली राजधानी रह चुका राजगीर है बाद में इसे मोड साम्राज्य बन गया था जैन धर्म और बौद्ध धर्म के अनुयाई के लिए यह क्षेत्र महत्वपूर्ण माना जाता है कि यहां स्थित विश्व शांति स्तूप एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों में से एक है यह परमात्मा के रूप में अपनी शांति के आकर्षण को लिए प्रचलित है यह 400 मीटर की ऊंचाई पर रणबीर पहाड़ी के उच्चतम बिंदु पर स्थित है इस तू बुद्धि की चार स्वर्ण प्रतिमाओं को स्थापित करते हुए विश्व शांति के प्रतीक सफेद संगमरमर पत्थर से बना है

8.  बिहार का प्रमुख तीर्थ स्थल पावपुरी :-

बिहार राजगीर पावापुरी गांव में स्थित जैन धर्म का पवित्र मंदिर है जिससे जल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है या जैन धर्म के अनुयाई के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक स्थान माना जाता है यह वही स्थान है जहां आज से लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व में जैन धर्म के 24वें वह अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का निर्माण हुआ था कहा जाता है कि उनके निर्माण के बाद उनका अंतिम संस्कार देवताओं द्वारा किया गया था एक कहावत के अनुसार एक सच्चा जय ने यहां पाप मुक्त हो जाता है यहां पर जैन धर्म के लोग बहुत ज्यादा आते हैं बोला जाता है कि जल मंदिर पावापुरी का एक महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल है यह जैन धर्म के बताओ लंबी हो के लिए एक अत्यंत पवित्र शहर है क्योंकि माना जाता है कि भगवान महावीर को यही मोक्ष की प्राप्ति हुई थी इस खूबसूरत मंदिर का मुख्य पूजा स्थल भगवान महावीर की एक प्राचीन चरण पादुका है यह उस स्थान को इंडिकेट करता है यहां भगवान महावीर के पार्थिव अवशेषों को दफनाया गया है इसलिए यहां पर देश-विदेश से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं पावापुरी को बिहार के धर्म स्थलों में शामिल किया गया है और जैनियों के लिए किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है पूरी शहर एक समय में मॉल महाजनपद की संयुक्त राजधानी के रूप में भी जाना जाता था पूरी वह धार्मिक स्थान है जहां भगवान महावीर को पांच से शाहपुर में दफनाया गया था और इस खूबसूरत स्थान को पूरी के नाम से भी जाना जाता है पूरी घूमने के लिए पर्यटक भारी संख्या में आते हैं जो कि बिहार राजधानी पटना से लगभग 83 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह पाव पुरी दर्शन के लिए बहुत से लोग आते हैं यहां पर काफी मात्रा में पर्यटक देखने को आते हैं यहां की मंदिर बहुत ही आकर्षित लगती है



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