Inspiring Story/ Sant kabir Inspiring Story
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संत कबीर की प्रेरणादायक कहानी – सच्ची भक्ति और ज्ञान
संत कबीर दास जी को भारतीय संत, कवि और समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है। उनकी साखियों और दोहों में गहरे आध्यात्मिक और नैतिक संदेश छिपे हैं। यह कहानी उनकी सच्ची भक्ति और ज्ञान पर आधारित है।
कहानी: सच्चे भक्त की पहचान
एक बार की बात है, संत कबीर का एक शिष्य हमेशा यह कहता था कि “मैं भगवान का सबसे बड़ा भक्त हूँ।” वह रोज़ मंदिर जाता, पूजा-पाठ करता और लम्बे समय तक भजन गाता था।
एक दिन, संत कबीर ने उससे पूछा –
“यदि तुम इतने बड़े भक्त हो, तो क्या भगवान तुम्हारी हर इच्छा पूरी करते हैं?”
शिष्य ने जवाब दिया –
“हाँ, मैं जो भी माँगता हूँ, भगवान मुझे दे देते हैं।”
संत कबीर ने मुस्कुराकर कहा –
“अच्छा, तो बताओ, भगवान ने तुम्हें सच्चा ज्ञान दिया?”
शिष्य चुप हो गया, क्योंकि वह समझ गया कि उसकी भक्ति सिर्फ बाहरी थी, भीतर से उसने अभी तक ईश्वर को महसूस नहीं किया था।
तभी संत कबीर ने एक किसान की ओर इशारा किया, जो खेत में मेहनत कर रहा था और हर काम करते हुए “राम-राम” जप रहा था।
कबीर ने कहा –
“यह व्यक्ति सच्चा भक्त है, क्योंकि यह अपने काम के साथ-साथ ईश्वर का स्मरण भी करता है।”
कहानी से सीख
सच्ची भक्ति केवल दिखावे से नहीं होती, बल्कि मन से होती है।
भगवान को याद करना केवल मंदिर में ही नहीं, बल्कि हर काम में जरूरी है।
ईमानदारी और मेहनत से किया गया हर कार्य भी भक्ति का एक रूप है।
संत कबीर ने अपने दोहे में कहा है –
”कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूँढे वन माहि।
ऐसे घट-घट राम हैं, दुनिया देखे नाहि।।”
अर्थ: जिस प्रकार हिरण अपने भीतर मौजूद कस्तूरी को जंगल में खोजता रहता है, उसी प्रकार इंसान भगवान को बाहर खोजता है, जबकि वह हमारे भीतर ही बसे हैं।
अगर आपको यह कहानी प्रेरणादायक लगी, तो क्या आप संत कबीर के और भी प्रेरणादायक दोहे जानना चाहेंगे?