#1 जीवनी

लुई पास्चर जीवनी – Biography of Louis Pasteur in Hindi

लुई पास्चर

जन्म-1822 ईस्वी

निधन-28 सितंबर, 1895

खास बात : लुई पास्चर ने फर्मेंटेशन (किण्वन) का भेद खोज निकाला। उसने क्रिस्टलों पर महत्वपूर्ण अनुसंधान किया, घातक रोगों से बचाव के टीके खोजे और स्थापना की कि सूक्ष्म जीवाणुओं-माइक्रोज को ताप से नियंत्रित किया जा सकता है।

लुई पास्चर का जन्म फ्रांस के पूर्वी भाग में एक छोटे से गांव दोल में हुआ था। पिता ज्यां जोजेफ पास्चर फ्रांसीसी फौज में सार्जेंट थे और नेपोलियन के बाद उन्होंने दोल में टैनरी खोल ली थी। लई की रुचि 15 वर्ष की उम्र तक पोर्टेट बनाने में थी और उसने उम्दा पोर्टेट भी बनाए, जो पास्चर इंस्टीट्यूट पेरिस में आज भी सुरक्षित हैं। स्कूल में उसने प्रयोगों के लिए झोपड़ा म प्रयोगशाला बना रखी थी, जहां उसने केलासों-क्रिस्टलों पर अद्भुत प्रयाग किए। उसके नतीजों और स्थापनाओं ने ब्रोमीन के आविष्कर्ता एंतायने येरोम बलार और भौतिकविद ज्यां बैपटिस्टे बिओ का ध्यान आकृष्ट किया। बलारा और बिओ की कोशिशों से लुई को दिजों के सेकंडरी स्कूल में कुछ अरसा भौतिकी पढ़ाने के बाद स्ट्रांसबर्ग विश्वविद्यालय में रसायन की प्रोफेसरी मिल गई। दोनों वैज्ञानिकों ने फ्रांस की विज्ञान एकेडमी का ध्यान पास्चर के कामों की ओर खींचा। विश्वविद्यालय में आते ही उसने साहसपूर्वक रेक्टर से उनकी बिटिया मेरी लौरेंत का आगे बढ़कर हाथ मांग लिया। यह दुर्भाग्यजनक हादसा भी हुआ कि पास्चर दंपती की तीन संतानें असमय काल-कवलित हो गईं। प्रारंभ में क्रिस्टलों पर काम करते हुए पास्चर ने खोज की कि पैराटार्टरिक एसिड़ वस्तुतः दो किस्म के टार्दैटों का मिश्रण-सा है। पास्चर की धारणा थी कि प्रयोगशाला में पार्थिव जीवन का निर्माण संभव है। उसने खमीर लगने की वैज्ञानिक व्याख्या की और खमीर-किण्वन के कीटोत्पादन का सिद्धांत लिली की सोसायटी डि साइंसेज के समक्ष रखा। मांस-अंडों के लिए खमीर हानिप्रद था, तो अंगूर सड़ने से शराब बनती थी, और सिरका तथा अम्ल भी। फ्रांस जहां शराब का एक बड़ा उद्योग था उसने उसे वैज्ञानिक आधार दिया और पास्चराइजेशन से दूध आदि को सुरक्षित रखने की विधि ईजाद कर डाली। फ्रांस का रेशम उद्योग बरबाद होने को आया तो पास्चर को तलब किया गया। उसने एंथ्रेक्स का अध्ययन किया और यूरोप के पशुओं को मौत के जबड़े से बचा लिया। पागल कुत्ते का काटा नौ साल का बच्चा उसकी प्रयोगशाला में पहुंचा तो गरम सलाख से दागने की क्रूर परंपरा को तिलांजलि दे उसने सिर्फ एक ही टीके से बच्चे को बचा लिया।