जेम्स वाट
जन्म-19 जनवरी, 1736
निधन-19 अगस्त, 1819
खास बात : स्कॉटिश मूल के गणितज्ञ और इंजीनियर जेम्स वाट द्वारा भाप इंजन की कार्यप्रणाली में किया गया सुधार यूरोप में औद्योगिक क्रांति का महत्वपूर्ण चरण साबित हुआ। ऊर्जा की इंटरनेशनल सिस्टम इकाई (एसआई यूनिट) ‘वाट’ उन्हीं के नाम पर है।
जेम्स वाट का जन्म स्कॉटलैंड के ग्रीनॉक में हुआ था। लेकिन बाद में उनका परिवार इंग्लैंड में बर्मिंघम शहर में रहने लगा। उनकी शिक्षा-दीक्षा बर्मिंघम में ही हुई और वहीं उन्होंने अपना काम शुरू किया। जेम्स ‘ल्यूनर सोसायटी’ के एक महत्वपूर्ण सदस्य थे। ल्यूनर सोसायटी बर्मिंघम स्थित एक ऐसा प्रतिष्ठित क्लब था, जिसके सदस्य जाने-माने उद्योगपति और वैज्ञानिक हुआ करते थे। इसके सदस्य 1765 से 1813 के बीच नियमित रूप से बैठक कर औद्योगिक और वैज्ञानिक क्षेत्र की समस्याओं तथा उनके समाधान के उपायों के बारे में गहन विचार-विमर्श किया करते थे। उस जमाने में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था न होने के कारण क्लब की बैठकें ‘फुल मून’ यानी पूर्णिमा के दिन हुआ करती थीं। जेम्स इस क्लब की जान थे। उन्होंने अपने शोधकार्यों के दौरान पाया कि यदि भाप इंजन की गति को नियंत्रित करने का कोई उपाय हो सके तो इंजन को उपयोगी बनाया जा सकता है। अंततः उन्होंने भाप इंजन की गति को नियंत्रित करने के लिए सेंट्रीफ्यूगल गवर्नर को अपनाया। वैसे, पवनचक्की और पनचक्की की गति नियंत्रित करने के लिए सेंट्रीफ्यूगल गर्वनर का पहले से ही इस्तेमाल किया जा रहा था। जेम्स ने सर्कुलर मोशन (चक्राकार गति) को स्ट्रेट लाइन मोशन (ऋजु रेखीय गति) में परिवर्तन करने के लिए पैरेलल मोशन लिंकेज (समानांतर गति संपर्कप्रणाली) का आविष्कार किया। उन्होंने इंजन के पूरे कार्यचक्र के दौरान सिलेंडर में भाप के दबाव की माप करने के लिए स्टीम इंडिकेटर डायग्राम को भी ईजाद किया। इससे इंजन की क्षमता की जानकारी करने में आसानी हो गई। वाट ने भोथरे किस्म के भाप इंजन में ऐसे सूक्ष्म परिवर्तन किए कि उसका इस्तेमाल सरल और व्यावहारिक हो गया। उन्होंने 1774 में बर्मिंघम के निकट सोहो में मैथ्यू बोल्टन के साथ मिलकर अपने द्वारा विकसित भाप इंजन के निर्माण का कारोबार शुरू किया। 1784 में उन्होंने स्टीम लोकोमोटिव का पेटेंट प्राप्त कर लिया। वह 83 वर्ष की उम्र में इस दुनिया से कूच कर गए।