गैलीलियो गैलिली
जन्म-1564 ईस्वी
निधन-1642 ईस्वी
खास बात : गैलीलियो ने अत्यंत साहसपूर्वक सूर्य को ब्रह्मांड की व्यवस्था में केंद्रबिंदु पर प्रतिष्ठित किया तथा ग्रहों को सूर्य के इर्द-गिर्द परिक्रमा करते हुए दर्शा कर परवर्ती विज्ञान की आधारशिला रखी।
महान वैज्ञानिक, खगोलविद तथा गणितज्ञ गैलीलियो इटली में उसी वर्ष जन्मा, जिस वर्ष इंग्लैंड में महान साहित्यकार, शेक्सपीयर का जन्म हआ। गैलीलियो सितार और तरही बजाने. खिलौने व घरेल उपकरण बनान में सिद्धहस्त था। पिता की डॉक्टर बनाने की इच्छापर्ति के लिए वह पाता विश्वविद्यालय में दाखिल हो गया। वहीं 20 वर्ष की उम्र में उसने पासा . गिरजे में कंदील को दाएं-बाएं डोलते देखा और अपनी नब्ज का टिक की टिक-टिक से मिलान कर पाया कि कंदील का दाएं और बाएं दोलक समान हो । उसने दोलन का सिद्धांत प्रस्तुत किया और यह धारणा भी कि रोगियों की नब्ज मापने में दोलक का इस्तेमाल हो सकता है। उसने ‘लीनिंग टावर’ से दो अलग-अलग भार की गेंदें नीचे छोड़ीं। उनके एक साथ-गिरने का अर्थ था अरस्त के नियम का असत्य होना। उसने शहतीर में खांच बनाकर गेंद लढकाई और पाया कि चौगुनी दूरी तय करने में गेंद को दूना वक्त लगता है। इसी क्रम में उसने वस्तुओं के जड़त्व-इनर्शिया को भी चिन्हित किया, जिसे कालांतर में परिष्कृत कर न्यूटन ने गति के प्रथम नियम को प्रस्तुत किया। उसने यह सामरिक नियम भी बताया कि तोप से छूटे गोले की गति पैराबोलिक होती है। पेदुआ में उसने दूरबीन बनाकर नक्षत्रों को निहारा और पाया कि आकाशगंगा लाखों तारों का झुरमुट है, तारे ज्वालाओं का पुंज हैं और पृथ्वी सूर्य के प्रकाश को वापस फेंकती है। लोग यह मानने को तैयार नहीं हुए कि पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र नहीं है, लिहाजा गैलीलियो को अदालत में अपने ही सिद्धांत को नकारने की कसम खानी पड़ी।
‘डायलाग्ज ऑन टू न्यू साइंसेज’
‘ए डायलाग ऑन द ट सिस्टेम्स ऑफ द वर्ल्ड’ के चार साल बाद सन 1636 में प्रकाशित इस पुस्तक में गति, गति में अभिवृद्धि तथा गुरुत्वाकर्षण संबंधी गैलीलियो की संपूर्ण खोज सार रूप में वर्णित है। इन कृतियों के कारण ही महान गैलीलियो कोपभाजन बना।