गुल्येल्मो मारकोनी
जन्म-25 अप्रैल, 1874
निधन-20 जुलाई, 1937
खास बात : नोबेल पुरस्कार विजेता इतालवी भौतिक शास्त्री गुग्लीमो मारकोनी ने बेतार के तार और रेडियो का आविष्कार किया। इससे संदेशों के आवागमन और प्रसारण में नए क्रांतिकारी युग का सूत्रपात हुआ।
गुग्लीमो मारकोनी का जन्म इटली के बोलोना शहर में हुआ था। मारकोनी की रुचि विज्ञान में थी और वे अपने कमरे में तरह-तरह के प्रयोगों में खोए रहते थे। पिता को यह नागवार गुजरता था, लेकिन मां बेटे का खयाल रखती थी। मारकोनी बीस वर्ष के थे कि उन्हें हाइनरिख हर्ट्ज की खोजी रेडियो तरंगों के बारे में पता चला। उनके मन में विचार पनपा कि इन तरंगों का उपयोग संदेशों के प्रेषण में किया जा सकता है। बस, वे इस दिशा में अनुसंधान और प्रयोगों में जुट गए। दिसंबर, 1894 की एक सर्द रात मारकोना मनोरा मारकोनी को सोते से जगाया और उन्हें ऊपर अपनी प्रयोगशाला ले गए। उनींदी मां को उन्होंने उपकरणों के बीच रखी घंटी के पास खडा या और दसरे कोने में जाकर मोर्स कुंजी का बटन दबाया कमाल कि 30 फट दूर रखी घंटी घनघना उठी। मां यह तो नहीं समझ सकी कि बेटे ने ऐसा क्या कर डाला कि उसने उनकी रात की नींद खराब की, मगर उससे बेटे की बेहिसाब खुशी छिपी नहीं रह सकी। अब उत्साहित मारकोनी ने इस प्रयोग को छोटे भाई की मदद से अपने बाग के आरपार दोहराया। इसके बाद उन्होंने पहाड़ी के एक तरफ ट्रांसमीटर रखा और दूसरी तरफ रिसीवर । संदेश पहंचने की देर थी कि छोटा भाई रिसीवर छोड़ पहाड़ों पर चढ़कर नाचने लगा। मुकम्मल यंत्र तैयार कर अब मारकोनी जलपोत से इंग्लैंड गए और वहां 1896-97 में बेतार के तार के कई सफल प्रदर्शन किए। सन् 1897 में वे 12 मील की दूरी तक संदेश भेजने में कामयाब रहे। सन् 1898 में महारानी विक्टोरिया एक द्वीप पर प्रवास में थीं, पास ही समुद्र में जहाज पर युवराज बीमार हो गए। मारकोनी ने दोनों स्थलों को यंत्र से जोड़ दिया। 1899 में मारकोनी ने दो और चमत्कार किए। इंग्लिश चैनल के आरपार 31 मील की दरी तक रेडियो संदेश भेजा और अमेरिका के दो जलयानों पर रेडियो उपकरण लगा दिए, जिनसे नौका-दौड़ के समाचार अखबारों तक पहुंच सकते थे। 1901 में वे अटलांटिक सागर के आर-पार संदेश संप्रेषण में सफल रहे। मारकोनी की ही बदौलत 14 फरवरी, 1922 से इंग्लैंड में विधिवत रेडियो प्रसारण सेवा शुरू हुई। 63 वर्ष की उम्र में उनका देहांत रोम में हुआ।