अलबर्ट आइंस्टीन
जन्म-14 मार्च, 1879
निधन-18 अप्रैल, 1955
खास बात नोबेल पुरस्कार विजेता आइंस्टीन ने सापेक्षता के सिद्धांत समेत अनेक मूल्यवान सिद्धांत प्रस्तुत कर अमिट छाप छोड़ी। परमाणु ऊर्जा संबंधी शोध के प्रणेता इस महानतम वैज्ञानिक का मस्तिष्क भावी पीढियों के लिए प्रिस्टन अमेरिका में सुरक्षित रखा गया।
अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म जर्मनी में उल्म में एक यहूदी परिवार में हुआ था। इंजीनियर चाचा ने गणित में अभिरुचि जगाई और पांच वर्ष की उम्र में पिता के दिए चुंबकीय कंपास और 12 वर्ष की उम्र में यूक्लिड का ज्यामितीय से परिचय ने अल्बर्ट की दुनिया बदल दी। इटली में कुछ समय मिलानो में रहने के बाद वह ज्यूरिख में पहली असफलता के बाद दूसरे साल स्विस फेडरल पॉलीटेक्निक स्कल में दाखिला लेने में सफल रह।
1905 यरिख विश्वविद्यालय से पीएचडी हासिल की और भौतिकी से अपने अनुसंधानों पर अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका में पांच लेख छपवाए. से उन्हें विश्वव्यापी ख्याति मिली, दूसरे 40 वर्ष बाद एटम बम का निर्माण संभव हो सका। उनका पहला पेपर फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट पर था तो दसरा ब्राउनियन गति पर । तीसरे पत्र में उन्होंने सापेक्षता का सिद्धांत (थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी) प्रस्तुत किया था। चौथे पेपर में उन्होंने द्रव्यमान और ऊर्जा की समतुल्यता का क्रांतिकारी विचार प्रस्तुत किया था, तो अंतिम में प्रकाश के संचरण का फोटोन सिद्धांत । उनकी पनाएं थीं कि प्रकाश की गति हर हाल में अपरिवर्तनीय है, द्रव्यमान, दूरी और समय जैसी भौतिक राशियां बदलती रहती हैं और द्रव्य को ऊर्जा में तथा ऊर्जा को द्रव्य में बदला जा सकता है। उन्होंने कहा कि थोड़े से द्रव्य से अपरिमित ऊर्जा का विसर्जन होगा, जिसका उपयोग सृजन अथवा संहार में किया जा सकता है। फॉर्मूले के मुताबिक पदार्थ से उसके द्रव्यमान को प्रकाश की गति (1,86,000 मील पति सेकंड) के वर्ग से गणित फल के बराबर ऊर्जा प्राप्त होगी। यानी 1 टन पदार्थ से 70 लाख टन डायनामाइट के दहन की ऊर्जा । 1933 में जर्मनी पर हिटलर के काबिज होने के बाद वे अमेरिका चले गए। 1939 में उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट को पत्र लिखा, जिसने अमेरिकी परमाणु बम के निर्माण का रास्ता खोल दिया, किंतु हिरोशिमा-नागासाकी हादसे से वे पश्चाताप से भर उठे। इजरायल का राष्ट्रपति बनने का ऑफर उन्होंने ठुकरा दिया। 1950 में उनका यूनीफार्म फील्ड का सिद्धांत प्रकाशित हुआ, इसमें उन्होंने गुरुत्वाकर्षण और विद्युत-चुंबकीय खोजों को सूत्रों में पिरो दिया। 76 वर्ष की आयु में वे चिरनिद्रा में लीन हो गए।