अलेक्जेंडर ग्राहम बेल
जन्म-3 मार्च, 1847
निधन-2 अगस्त, 1922
खास बात बेल को टेलीफोन का जन्मदाता होने का श्रेय प्राप्त है। इस आविष्कार की बदौलत संचार की दुनिया में अभूतपूर्व क्रांति हुई और देखते-देखते दुनिया भर में टेलीफोन लोगों की दिनचर्या में शुमार हो गया।
अलेक्जेंडर ग्राहम बेल का जन्म स्काटलैंड में एडिनबरा में हुआ था। उनका पालन-पोषण अमेरिका में मैसाचुसेट्स में बोस्टन में हुआ। बोस्टन में ही उन्होंने मूक बधिरों के लिए एक स्कूल खोला। अवकाश के क्षणों में वे ऐसे यंत्र बनाने में जुटे रहते थे, जिनसे बहरे बच्चों को सुनने में मदद मिल सके। इन्हीं दिनों वे टेलीग्राफ में सधार के काम में भी लगे रहे। इस मिलजले फेर का नतीजा हुआ कि वे टेलीफोन जैसे यंत्र का आविष्कार कर कामयाब हो गए। एक बार वे बेतार के तार यंत्र के कारखाने में गए उनकी मुलाकात इलेक्ट्रिक इंजीनियर थॉमस वाटसन से हुई। जल्द ही दोनों गरीकनने लगी। बेल यंत्रों के नक्शे बनाते और वाटसन मॉडल। 2 जून, 1875 की बात है कि बेल वाटसन के साथ टेलीग्राफी संबंधी प्रयोग कर रहे थे। तार से कई संदेश भेजने की धुन में उन्होंने सोचा कि क्यों न ध्वनि संदेश भेजा जाए। टेलीग्राफ के रिसीवर पर एक कमरे में बेल थे और दूसरे कमरे में वाटसन । सामान्य संदेश के बाद वाटसन ने उंगली मारकर ध्वनि पैदा की तो वह बेल तक पहुंची। खुशी से बदहवास बेल भागकर वाटसन के कमरे में गए और चीख उठे कि मैंने तुम्हारी उंगली की आवाज सुनी है। इसके बाद उन्होंने कुछ और प्रयोग किए और ऐसा मनचाहा यंत्र बनाने में कामयाब रहे, जिससे दूरी पर बैठे दो लोग एक-दूसरे की आवाज सुन सकते थे। इस यंत्र पर उनके बोले पहले बोल थे—’वाटसन ! वाटसन, यहां आओ। मुझे तुम्हारी जरूरत है।’ सन् 1876 में उन्होंने टेलीफोन बनाने का पेटेंट प्राप्त कर लिया और अगले ही साल बेल टेलीफोन कंपनी की नींव डाल दी। उन्होंने अपने यंत्र का अनेक देशों में प्रदर्शन किया और वाहवाही बटोरी। सन् 1915 में जब 3400 मील लंबी समुद्रतटीय लाइन के उद्घाटन का मौका आया तो स्वाभाविक तौर पर टेलीफोन के जन्मदाता ग्राहम बेल को न्यूयार्क से बुलाया गया। उनके आग्रह पर दूसरे सिरे पर वाटसन बैठे और बरसों बाद बेल ने फिर कहा’वाटसन, यहां आना, मुझे तुम्हारी जरूरत है।’ 75 वर्ष की आयु में जब उनकी मृत्यु हुई तो सारे अमेरिका में श्रद्धांजलि स्वरूप टेलीफोन एक मिनट बंद रहे।