Clearing and Settlement Process in Hindi And also understand T1,T2,T3 payment clearing and settlement.
Contents
- 1 क्लियरिंग और सेटलमेंट प्रक्रिया के चरण
- 2 T+1, T+2, T+3 सेटलमेंट क्या होता है?
- 3 भारतीय शेयर बाजार में कौन से क्लियरिंग एजेंट हैं?
- 4 सेटलमेंट प्रोसेस को समझने का आसान उदाहरण
- 5 Clearing और Settlement प्रक्रिया क्या है? (Clearing and Settlement Process in Hindi)
- 6 T+1, T+2, T+3 का क्या मतलब है? (Settlement Cycle Explained)
- 7 Clearing और Settlement में कौन-कौन शामिल होता है?
- 8 आसान भाषा में सारांश:
- 9 अगर आप चाहें तो:
क्लियरिंग और सेटलमेंट प्रक्रिया (Clearing and Settlement Process in Hindi)
जब कोई निवेशक शेयर बाजार में ट्रेड करता है, तो खरीद या बिक्री के आदेश के बाद Clearing और Settlement की प्रक्रिया होती है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि खरीदे गए शेयर निवेशक के खाते में आएं और बेचे गए शेयर खरीदार को स्थानांतरित किए जाएं।
क्लियरिंग और सेटलमेंट प्रक्रिया के चरण
1⃣ ट्रेडिंग (Trading)
- निवेशक एक्सचेंज (NSE/BSE) पर शेयर खरीदते या बेचते हैं।
- यह ऑर्डर एक ब्रोकर के माध्यम से दिया जाता है।
2⃣ क्लियरिंग (Clearing)
- क्लियरिंग हाउस (Clearing Corporation) यह जाँच करता है कि खरीदार के पास पर्याप्त धनराशि और विक्रेता के पास आवश्यक शेयर हैं या नहीं।
- इसमें क्लियरिंग एजेंट्स और डिपॉजिटरी (NSDL/CDSL) शामिल होते हैं।
3⃣ सेटलमेंट (Settlement)
- तय दिन (T+1, T+2, T+3) को शेयर खरीदार के डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर होते हैं और विक्रेता को पैसे मिलते हैं।
- भारतीय बाजार में सेटलमेंट प्रक्रिया T+1 या T+2 सेटलमेंट साइकिल पर आधारित होती है।
T+1, T+2, T+3 सेटलमेंट क्या होता है?
T = ट्रेडिंग डे (Trading Day), जिस दिन शेयर खरीदा/बेचा गया।
T+1, T+2, T+3 = शेयर और पैसों का सेटलमेंट कितने दिनों बाद होगा।
T+1 Settlement (नया सिस्टम – 2025 से लागू)
- यदि कोई ट्रेड सोमवार (T Day) को होता है, तो मंगलवार (T+1) को शेयर और पैसे सेटल हो जाते हैं।
- निवेशकों को जल्दी शेयर मिल जाते हैं और लिक्विडिटी बढ़ती है।
T+2 Settlement (पुराना सिस्टम)
- पहले भारतीय बाजार में यह नियम था कि ट्रेड के 2 दिन बाद सेटलमेंट होता था।
- उदाहरण: सोमवार को ट्रेड हुआ, तो बुधवार को सेटलमेंट होगा।
T+3 Settlement (पुराना नियम – अब नहीं प्रचलित)
- पहले सेटलमेंट में 3 दिन लगते थे, लेकिन इसे निवेशकों के लिए तेज़ और आसान बनाने के लिए खत्म कर दिया गया।
भारतीय शेयर बाजार में कौन से क्लियरिंग एजेंट हैं?
1⃣ NSCCL (National Securities Clearing Corporation Ltd.) – NSE के लिए।
2⃣ ICCL (Indian Clearing Corporation Ltd.) – BSE के लिए।
सेटलमेंट प्रोसेस को समझने का आसान उदाहरण
पने सोमवार को 10 शेयर खरीदे @ ₹100 प्रति शेयर।
आपका कुल खर्च: ₹1,000
T+1 सेटलमेंट: मंगलवार को आपके डीमैट खाते में शेयर आ जाएंगे और विक्रेता को पैसे मिल जाएंगे।
निष्कर्ष
T+1 सेटलमेंट से निवेशकों को जल्दी शेयर और पैसे मिलते हैं।
Clearing House (NSCCL, ICCL) सही और सुरक्षित सेटलमेंट सुनिश्चित करता है।
डिजिटल ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट ने इस प्रक्रिया को आसान बना दिया है।
अब आप भी स्मार्ट ट्रेडिंग कर सकते हैं, क्योंकि आपको सेटलमेंट प्रक्रिया समझ आ गई है!
बिलकुल! नीचे आपको Clearing और Settlement Process की पूरी जानकारी हिंदी में मिल जाएगी, साथ ही T+1, T+2, T+3 क्लियरिंग सिस्टम का आसान मतलब भी बताया गया है — जो खासकर शेयर बाजार और बैंकिंग लेन-देन के लिए जरूरी होता है।
Clearing और Settlement प्रक्रिया क्या है? (Clearing and Settlement Process in Hindi)
Clearing (क्लियरिंग):
Clearing का मतलब है एक ट्रेड (लेन-देन) के बाद उसके सभी डिटेल्स की जांच और पुष्टि करना:
-
कौन खरीदार है और कौन विक्रेता?
-
कितने शेयर या रकम का लेन-देन हुआ?
-
कितना भुगतान करना है और कब?
Clearing = “लेन-देन की तैयारी और मिलान”।
Settlement (सेटलमेंट):
Settlement का मतलब है वास्तविक भुगतान और डिलीवरी करना।
-
अगर आपने शेयर खरीदे हैं, तो आपके Demat अकाउंट में शेयर आ जाते हैं
-
और आपने पैसा दिया है, तो वह विक्रेता के अकाउंट में पहुंच जाता है
T+1, T+2, T+3 का क्या मतलब है? (Settlement Cycle Explained)
Settlement Type | Full Form | मतलब (समझाने का तरीका) |
---|---|---|
T+1 | Trade Day + 1 | ट्रेड के अगले दिन Settlement होता है |
T+2 | Trade Day + 2 | ट्रेड के 2 दिन बाद Settlement होता है |
T+3 | Trade Day + 3 | ट्रेड के 3 दिन बाद Settlement होता है |
उदाहरण (Example):
आपने सोमवार को ₹10,000 के शेयर खरीदे:
-
T+1 Settlement: मंगलवार को शेयर आपके अकाउंट में आ जाएंगे
-
T+2 Settlement: बुधवार को मिलेंगे (भारत में पहले यही नियम था)
-
T+3 Settlement: गुरुवार को मिलते (पुराना सिस्टम)
भारत ने अब ज्यादातर ट्रेडों के लिए T+1 Settlement सिस्टम लागू कर दिया है (2023 से)
Clearing और Settlement में कौन-कौन शामिल होता है?
संस्था | काम |
---|---|
Stock Exchange (NSE/BSE) | ट्रेड को एग्जीक्यूट करता है |
Clearing Corporation (NSCCL) | क्लियरिंग प्रोसेस संभालता है |
Depository (CDSL/NSDL) | शेयर को Demat फॉर्म में ट्रांसफर करता है |
Broker | आपके behalf पर लेन-देन करता है |
आसान भाषा में सारांश:
-
Clearing = लेन-देन की तैयारी, मिलान और पुष्टि
-
Settlement = पैसा और शेयर का असली ट्रांसफर
-
T+1, T+2 = ट्रेड के कितने दिन बाद सेटलमेंट होता है
-
भारत में अब T+1 को अपनाया गया है जिससे जल्दी भुगतान और शेयर ट्रांसफर होता है
अगर आप चाहें तो:
-
मैं इसका PDF नोट्स (हिंदी में) तैयार कर सकता हूँ -
एक रिवीजन चार्ट भी दे सकता हूँ (Exam / Interview के लिए)
क्या आप चाहेंगे कि मैं इसे PDF में कन्वर्ट करूं और शेयर करूं?