HINDUSTANI MUSIC FOR CBSE 11 & 12 IN HINDI – PART -2.
HINDUSTANI MUSIC FOR CBSE 11 & 12 IN HINDI – PART -2 – Indian classical music is the well-known music of North India. It is a music that has been going on since the Vedic period, in which rhythm and melody are also present. Students should prepare Hindustani vocal music through video lectures. An attempt has been made to explain all the important topics of the course through witch and playing so that students can understand in a better way and learn to make their life successful along with their class XI and class 12th board exams.
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Hindustani Vocal Music Practical File PDF For Class 12

भारतीय शास्त्रीय संगीत उत्तर भारत की सुप्रसिद्ध संगीत है यह वैदिक काल से ही चली आ रही संगीत है जिसमें ताल और लय के साथ राग भी हैं विद्यार्थियों को चाहिए कि वीडियो लेक्चर के माध्यम से हिंदुस्तानी वोकल म्यूजिक की तैयारी करें हमारी वीडियो लेक्चर स्नेह हिंदुस्तानी म्यूजिक वोकल के सभी महत्वपूर्ण टॉपिक को समझाने का प्रयास किया गया है डायन और वादन के माध्यम से समझाया गया है ताकि विद्यार्थी अच्छे तरीके से समझ सकेंगे और अपने क्लास ग्यारहवीं और क्लास 12वीं के बोर्ड एग्जामिनेशन के साथ-साथ अपने जीवन को सफल बनाने को भी सीख सकेंगे
Hindustani Music Vocal Practical Video
आप कक्षा 11 और 12 के लिए हिंदी माध्यम में हिंदुस्तानी संगीत के पाठ्यक्रम के भाग 2 की खोज में हैं। सीबीएसई (CBSE) द्वारा जारी आधिकारिक पाठ्यपुस्तकों में इस विषय पर सामग्री उपलब्ध होनी चाहिए। आप सीबीएसई की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर या स्थानीय पुस्तक विक्रेताओं से संपर्क करके इन पुस्तकों को प्राप्त कर सकते हैं।
यदि आप विशेष रूप से कुछ विषयों पर जानकारी चाहते हैं, तो निम्नलिखित विषय हिंदुस्तानी संगीत में महत्वपूर्ण हैं:
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खयाल गायन शैली: यह हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की एक प्रमुख शैली है, जिसमें रागों की विस्तृत प्रस्तुति और कल्पनाशीलता का महत्वपूर्ण स्थान है।
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तीनताल: यह 16 मात्राओं वाला ताल है, जो हिंदुस्तानी संगीत में सबसे अधिक प्रचलित है। इसकी संरचना 4-4-4-4 की होती है, जिसमें 3 तालियाँ (ताली) और 1 खाली (खाली) होती है।
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नट भैरव राग: यह भैरव थाट का एक राग है, जिसे प्रातःकाल में गाया जाता है। इसकी आरोहण और अवरोहण क्रमशः ‘सा रे ग म प नि सां’ और ‘सां नि प म ग रे सा’ हैं।
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खमाज राग: यह खमाज थाट का राग है, जो विशेष रूप से ठुमरी और ग़ज़ल जैसी उपशास्त्रीय शैलियों में लोकप्रिय है। इसकी आरोहण ‘सा ग म प ध नि सां’ और अवरोहण ‘सां नि ध प म ग रे सा’ है।
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पखावज वाद्य: यह एक प्राचीन ताल वाद्य है, जो विशेष रूप से ध्रुपद शैली में संगत के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी बजाने की तकनीक और बोल (जैसे ‘धा’, ‘ग’, ‘न’) विशेष ध्यान देने योग्य हैं।
यदि आपको इन विषयों पर या अन्य किसी विशेष विषय पर विस्तृत जानकारी चाहिए, तो कृपया बताएं, ताकि मैं आपकी और सहायता कर सकूं।